“तेरी महफ़िल से जो निकला तो ये मंज़र देखा نومبر وہ نومبر کی سرد سی راتیں کیسے بھولوں تری ملاقاتیں .. खुद ही दर पे दस्तक दूँ और खुद ही पूछूं कौन? वक्त से उधार माँगी किस्तें चुका रहा हूँ, तेरा अकेलापन मुझे अकेला होने नहीं देता। मेरी तन्हाई में https://youtu.be/Lug0ffByUck